अनुक्रमिका
· संपादकीय ........................................................................................................................................ .
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1 - श्री लंका में
संस्कृत और पाली का संवर्धन - राधावल्लभ
त्रिपाठी
2 - बानि बिमल रैदास की - अवधेश
प्रधान
3 - भक्ति कविता की
पहचान पर पुनर्विचार - माधव हाड़ा
4 - ट्रैजिक विज़न की
संकल्पना और ‘पद्मावत’ - शशि
मुदीराज
5 - दादू दिल दरियाव- हंस
हरिजन तहँ झूले - नन्द किशोर पाण्डेय
6 - मध्यकाल और संत
रैदास - सुमन जैन
7 - कबीर की कविता का ‘देस’ : जाति
बरन कुल नाहिं - कृष्ण कुमार सिंह
8 - शैवभक्ति - विलोपन :
कारण एवं निहितार्थ - कमलानंद
झा
9 - तुलसी
का मानुष सत्य : हमारा समय और समाज - अधीर कुमार
10 - मर्मी आलोचना से साक्षात्कार - बजरंग बिहारी तिवारी
11 - रसखान : भक्ति और लोकवृत्त - निरंजन सहाय
12 - दरिया कहे शब्द
निरवाना - सुनील कुमार तिवारी
13 - मन के परिष्करण और
उन्नयन में संत रैदास का योगदान - मुदिता तिवारी
14 - उत्तर औपनिवेशिक
विमर्श और भक्ति कविता : एक पुनर्पाठ - प्रोफेसर प्रभाकर सिंह
15 - असम में वैष्णव भक्ति कविता - प्रदीप के. शर्मा
16 - भक्ति काव्य की
सांस्कृतिक परिधि और स्त्री दृष्टि - नीलम राठी
17 - भक्तिकाव्य की पूर्व
पीठिका- दार्शनिक विचार - अन्नपूर्णा सी.
18 - महामना मालवीय : धर्म और भक्ति पर चिंतन - भुवन
कुमार झा
19 - भक्ति-आन्दोलन और हिंदी की सांस्कृतिक परिधि : अध्ययन की दिशाएँ - भीम सिंह
20 - मीरा के पदों में नवधाभक्ति की भवभूमि - जितेन्द्र
थदानी एवं प्रिया आडवानी
21 - चेरुश्शेरी–एष़ुत्तच्छन-पूंतानम [केरल
के भक्ति आंदोलन के पुरोधा] - प्रभाकरन हेब्बार इल्लत
22 - शंकरदेव के काव्य का स्त्रीपक्ष - अंजू लता
23 - रामचरितमानस में प्रेम और मर्यादा - डॉ
प्रवीण कुमार
24 - विद्यापति की 'पदावली' में
मिथिला का समाज - प्रभात कुमार मिश्र
25 - जाम्भणी दर्शन जीव, पर्यावरण
एवं प्रकृति - ओम प्रकाश सैनी
26 - संत चोखामेला - प्रकाश कोपार्डे
27 - वाल्मीकि ‘रामायण’ के
पाश्चात्य आलोचक और फ़ादर कामिल बुल्के - जे. आत्माराम
28 - हे री मैं तो दरद दिवाणी - मीराँबाई - रेखा
पाण्डेय
29 - भक्ति आंदोलन का क्षितिज :
अंतर्दृष्टि और विमर्श - प्रदीप त्रिपाठी
30 - स्वाधीनता आंदोलन पर भक्तिकाव्य का
प्रभाव - अखिल मिश्र
31 - दक्षिण भारत की भक्ति परम्परा और
दर्शन - मृदुला पण्डित
32 - ‘दरिया अगम गंभीर है’
[संत कवि दरिया और उनकी भक्ति] - अमरेन्द्र त्रिपाठी
33 - कबीर मेला के बहाने अस्पृश्यता और सांप्रदायिकता
से जंग - सुजीत कुमार सिंह
34 - द्रविड़ मंदिरों में नँगे पाँव [सन्दर्भ- आलवार-नयनार संतों की भक्ति की सामाजिक चेतना] - धनंजय
सिंह
35 - भारतीय सामाजिक संरचना और मीराबाई का
काव्य - घनश्याम कुशवाहा
36 - ‘मानुष सत्य’ की प्रतिष्ठा करती संत रैदास की कविता - निरंजन
कुमार यादव
37 - संत साहित्य में श्रम सौन्दर्य के
गीतों का सामाजिक संदर्भ - संगीता मौर्य
38 - भक्ति आंदोलन में आलवार और नयनार
भक्तों का योगदान - पूजा गुप्ता
39 - भक्ति आंदोलन के वैचारिक- सांस्कृतिक
संघर्ष के आलोक में समकालीन धार्मिक खतरों की पड़ताल
40 - मध्यकालीन भारतीय दलित सन्त
कवयित्रियां - प्रियंका सोनकर
41 - मैनेजर पांडेय की सूरदास सम्बन्धी
मान्यताएं - आराधना चौधरी
42 - ‘हिंदी में क्रांतिकारी कविता की परंपरा और कबीर’ - दिवाकर दिव्यांशु
43 - भक्ति-आंदोलन में मराठी संतों का
सामाजिक - सांस्कृतिक प्रदेय -
मुदनर दत्ता सर्जेराव
44 - मानवता का विनम्र स्वर ‘गुरुनानकदेव’ - पीयूष कुमार द्विवेदी
45 - मध्यकालीन आत्मकथात्मक स्त्री
अभिव्यक्तियाँ और बहिणाबाई का काव्य - पंकज सिंह यादव
46 - पुष्टिमार्ग के भक्त-कवि- वार्त्ता
साहित्य और इतिहास - कुमुद रंजन मिश्र
47 - प्रतिरोध की परंपरा और भक्ति आंदोलन
का स्वरूप - सुरेश कुमार जिनागल
48 - कबीर की कविता का सरोकार - वर्षा कुमारी
49 - स्वाधीनता आन्दोलन पर भक्ति
काव्यान्दोलन का प्रभाव - मनीष कुमार
50 - दर्शन और जीवन के मर्म को तलाशता
मध्यकालीन भक्ति-आंदोलन - संगीता कुमारी
51 - ‘रीतिकालीन कवियों की भक्ति- भावना’ - गुड्डू कुमार
52 - मध्यकालीन भक्ति आन्दोलन में दक्षिण भारतीय
संतों की भूमिका
[आलवार
और नयनार संतों के परिप्रेक्ष्य में] - प्रशान्त कुमार एवं अजीत कुमार राव
53 - विद्यापति का समय और समाज - अंकित
कुमार
54 - कबीर : पाश्चात्य हिंदी
साहित्येतिहासों में - अजीत आर्या
55 - मराठी संतों का हिन्दी काव्य - प्रज्ञा
शाकल्य
56 - जन-जन के राम और विद्यानिवास मिश्र - राखी
57 - लोकजागरण और नवजागरण - निधिलता
तिवारी
58 - गुजराती भक्ति कविता की रूपरेखा - विनीत
कुमार पाण्डेय
59 - सतनाम पंथ का दार्शिनिक विवेचन एवं
गुरु घासीदास - बन्धु पुष्कर
60 - मध्ययुगीन दक्खिनी हिंदी काव्य और 'किताबे
नौरस' - नवनीत
कुमार
61 - ‘पौराणिक साहित्य’ के ‘आत्मसातीकरण’ के रूप में ‘कृष्णकाव्य’ का अनुशीलन - विकास शुक्ल
62 - पं. राधेश्याम कथावाचक कृत ‘राधेश्याम
रामायण’ : एक अनुशीलन - शेषांक चौधरी
63 - स्वर्णयुग और स्त्री कविता - रंजना पाण्डेय
64 - जायसी की ‘कन्हावत’ - आशुतोष
65 - भक्तिकाल : देवदासी प्रथा का अंधकार
युग - उमंग वाहाल
66 - शंकरदेव तथा उनके समकालीन कवियों का
हिंदी साहित्य - दिगंत बोरा
67 - मध्यकालीन काव्य-भाषा विमर्श- नीतेश यादव
68 - श्री मंत शंकरदेव कृत बरगीत और भटिमा
के विशेष संदर्भ - बिभूति बिक्रम नाथ
69 - स्त्री-चेतना की अलख जगाती प्राचीन
एवं मध्यकालीन स्त्रियाँ - निम्मी सलोमी किन्डो
70 - कबीर की विरासत और शैलेंद्र - रजनीश
कुमार
71 - ब्रज संस्कृति का माधुर्य एवं
श्रीकृष्ण - रुचि झा, अमरेंद्र त्रिपाठी
72 - भक्ति काल का लोकवृत्त और रहीम - निरंजन
सहाय- मनीष कुमार यादव
73 - भक्ति आंदोलन : एक सतत् सामाजिक
प्रतिरोध - विजय नाथ जायसवाल
74 - मध्यकालीन स्त्री-कविता के आईने में
रानी रूपमती और उनका काव्य - विनोद मिश्र
75 - हिंदी आलोचकों की निगाह में जायसी - समीक्षा सिंह
76 - बुल्लेशाह की कविता में वैचारिक एवं सांस्कृतिक
संश्लेषण - मंजना कुमारी
77 - ब्रजभाषा के कृष्ण भक्त मुसलमान कवि - चारुचंद्र मिश्र
78 - भारतीय संस्कृति की चिंता-धारा और संत रज्जब का काव्य - संत कीनाराम त्रिपाठी
79 - असम समाज के महान उन्नायक श्रीमंत शंकरदेव का
भक्तिकालीन काव्य में योगदान - प्रेम कुमार साव
80 - आधी आबादी के प्रथम नवजागरण की अग्रदूत : बौद्ध
भिक्षुणियाँ - सूरज रंजन- जगदीश सौरभ
81 - “निर्गुण काव्य में जीवन एवं मृत्यु की दार्शनिक अवधारणा”- आदित्य रंजन यादव
82 - मध्यकालीन साहित्येतिहास लेखन की परंपरा और इतिहासबोध - प्रियंका प्रियदर्शिनी
83 - तमिल वैष्णव कवियों की भक्ति का स्वरुप और आंदाल - राहुल वर्मा
84 - लोकमानस में राम और रामकथा वाचक - दीपांशु पाठक
85 - भक्ति आंदोलन और चाँद पत्रिका - अमित कुमार
86 - ओड़िया लोकगीतों में धर्म का प्रभाव - कैलाश प्रधान
87 - लोकजागरण और नवजागरण - विवेक कुमार तिवारी
88 - भील आदिवासी समुदाय में भक्ति-पर्व और मेला - रामजीवन भील
89 - संत कबीर और भगताही पंथ - धनंजय कुमार
90 - भक्ति और लोकमानस - योगेन्द्र प्रताप सिंह
91 - भारतीय स्वाधीनता संघर्ष में क्रांतिचेता कबीर - गोपीराम शर्मा
92 - वरिष्ठ आलोचक गोपेश्वर सिंह से शोधार्थी तेजप्रताप कुमार तेजस्वी की बातचीत